सोमवार, 25 जनवरी 2010

सरल भाषा में महंगाई रोकने के उपाय-2

२ -घरेलु उद्योगों,धंधे,निकायों, दुकानों,को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाये।
  • शिक्षा को उपयोगी किया जाये:-वो इस तरह की जैसे- हमें कपड़ा बनाने के लिए किन पेड़ो की आवश्यकता होती है। उनसे किन उपायों को उपयोग में लाकर धागा तैयार किया जाता है। कोई भी व्यक्ति घर पर कैसे अपनी मशीन बनाकर कपड़ा उद्योग लगा सकता है। अब इस सारे काम को अमलीजामा पहनाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हुए मैथ, मेकेनिकल,कैमिस्ट्री, फिजिक्स,बायोलोजी, केबल उतनी ही बताई जय जितनी की जरुरी हो।
  • वैज्ञानिक तैयार किये जाये ना की हिटलर (ग्रेट मैनेजर):- वो इस तरह की कोई ऐसा तो स्कूल हो जहा पर बच्चो को उनके टीचर से सबाल करने पर मारा न जाये बल्कि विज्ञान में उनकी रूचि बढ़ाते हुए हमें आपनी आजादी की गाथा सुनानी चहिये ताकि उनमे जोश हो देश को आगे लेजाने का उन्हें ऐसे वैज्ञानिक सप्ताह में जरुर आ कर उनके सबालो का जबाब दे ताकि उन्हें वैज्ञानिक भाषा उनकी मदर भाषा में व मदर भाषा की तरह समझाई जा सके।
    स्कूलों में मध्यान भोजन की जगह उनके मनोरंजन का ध्यान रखा जाये। उन्हें खेल खिलाया जाए प्रति दिन खेल के दौरान सभी बच्चो पर निगाह हो जो जिस खेल में आगे हो उसे उसमे ही आगे कैसे अंतरराष्ट्रीय खेल तक जाना है पूरी जानकारी समय -समय पर देनी चाहिए।
    दुर्भाग्य पूर्ण तो है की उन शिक्षक को भी किताब में जो लिखा है पता नहीं है। वह खुद रटते है और दुसरे दिन रटाते है। कुछ बताने से पहले उसका उपयोग बता दीजिये किन किन जगहों पर उपयोग कर सकते है। जरुरी हो तो दिखा भी दे।
  • शिक्षा जहा तक हो सके मुफ्त हो। तभी हम देश को बचा सकते है। नहीं तो एक दिन वो दिन होगा जब हम खुद से भी नहीं पूछ सकेंगे की यह क्या होता जा रहा है।
    सरकारी स्कूलों में पढने बाले ही वैज्ञानिक हो सकते है यदि उनके शिक्षाक खुद वैज्ञानिक हो। पर वे तो बाबू नगर निगम की बाबू की तरह है जो पैसा समय पर लेते है। और प्राइवेट स्कूलों के टीचर स्कोर मार्कस पर ध्यान देते है क्या सिखा भावी इंजीनियर ने कुछ नहीं केबल सिखाया तो केबल नंबर कैसे लाना है। ......

शनिवार, 23 जनवरी 2010

सरल भाषा मे महंगाई रोकने के उपाय

  1. जनता के साथ जुड़े
    :- वो ऐसे की जैसे विज्ञापन करता घर-घर जा कर जुड़ता है। उनके बिचार सुने और उनसे बोलिए की आपकी क्या समस्या है। आप के विचार महंगाई के बारे मे या किसी और के बारेमें क्या है आप मंच पर आकर बोल सकते है। यदि ह़ा तो नाम पता लिख लीजिये। साथ मे आप उन्हे एक संकेत आबंटित कर दो और कहो की जब आपका कोड (संकेत) न्यूज़ पेपर मे आएगा तो आप उसमे बताए स्थान पर अपने ही शहर मे आप को बोलने का मौका दिया जायेगा। उम्मीद है आप जरुर देश के लिए उस मंच का साथ देंगे। विचार जो की बाद मे काम में लिया जाएगा और न्यूज पेपर में सारे विचार छपे होंगे।
  • जमा खोरो को रोक कर। उदाहरण के तौर पर एक लोहेकी राड बेंचने बालो की एकता देखो। मॉल होते हुए भी बोलते है मॉल नहीं है। क्यों की उन्हें दाम बढना है। या कही से पता चला है की दाम लोहा बेचने बाली कंपनी बढ़ाने बाली है। पर दाम बढ़ते ही मांग कम हो जाती है। यानी लोग लोहा कम खरीद ते है। पर खरीद अन्य कारणों पर भी निर्भर करती है। जैसे - मौसम, शादी,त्यौहार,बैंको का ऋण, सीमेंट, स्थान की उपलब्धता उस शहर की, लोगो की आय, दाम (ईट,गिट्टी,रेत), न्याल्यो मे लंबित जमीनों का फेसला, आदि।
इस तरह मामूली नेता के बसमें ना तो कुछ बोलपाना होता है ना ही नियंत्रण उसके हाथ मे होता है।
जितना लोग खरीदेंगे उतनी आनियांत्रित महंगाई बढ़ेगी । कारण है की भरी मैनेजमेंट बाले व्यक्ति या कंपनियों का माल लाओगे तो आए दिन दाम बढ़ते मिलेंगे।

दूध दो गाय पलने बाले से लोगे तो सस्ता मिलेगा क्योकि उन गायो का मेनेजमेंट काम आता है।
दो गाय कही से भी धूम के पेट भर सकती है।















शनिवार, 16 जनवरी 2010

गरीब, जनता, आमिर, नेता,आभिनेता,उद्योगपति,

  1. गरीवी मे लोगो के पास कई तरह की दिक्कत होती हैतो वे आपने बच्चो को स्कूल से लेकर कॉलेज तक कैसे पढ़ासकते है१२ साल बाद उन्हें खुद काम करना पड़ता हैकुछ एक को तो साल से ही
  2. कुछ एक लोग देश के विषय मे सोचते है । बाकि के सिर तो घर की गुलामी मे झुके है। घर की इकोनोमी के बारे मे इतना ज्यादा सोचते है की दूसरो के घर, देश, बच्चो पर ध्यान ही नहीं जाता।
  3. ८०% लोग गुलाम है। पहले अंग्रेज की गुलामी की अब खुद आपने देश के आमिर लोगो की गुलामी करो यही भारत की जानता के भाग्य मे लिखा है। भागवान ने राजाओ महाराजो की गुलामी से आजाद कराया। पर राजनीती के आकाओं ने जो अब तक काम किये है और करते जा रहे है। चाहे वे देश के गुलाम हो या विदेश के गुलाम हो।
  4. यहाँ के कालेजो की कोई सूद नहीं लेता, कालेज मे केवल डिग्री दी जाती है। और गुलामी के लिए कुत्ते तैयार होते है।
  5. विज्ञानं को लेकर कोई नहीं सोचता है की क्या हम सही राह पर है।
  6. नया फ़ॉर्मूला है। जो यूज हो रहा है। " गरीबो को मिटा धीरेधीरे करके, देश आमिर हो जायेगा"।

कृति देव ०१०



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