शुक्रवार, 7 मई 2010

सुभाषचन्द्रबोस की तरह देश को कोई नेता चाहिए.

आज देश में गरीब मेहनत से खाने के लिए दो वक्त की रोटी तो जुटा लेता है। मोबाइल भी रखता है। इलाज भी है पर दबा नही है। क्योकि बो बहुत महंगी है। सरकारी हॉस्पिटल में केवल सस्ती दबा ही सस्ता इलाज ही है। आजादी का मोल भूल कर पैसा कमाने में लगे है। ठीक है कानून अंधा।


  • बिना सरकारी नियम के मजदूरों ने भी आपनी वेतन बढ़ा लिया है।
  • दुकान बाले बिना बताये दाम बढ़ा देते है। आलग से अंकित मूल्य पर लेबल लगा देते है।
  • पेट्रोल पम्प में तेल काम मिलता है। क्यों की उनके कर्मचारियों का वेतन कम है।

हिंदुस्तान में बोलने की आजादी, हमे हमारे संबिधान ने दी है.किसी सरकार रूपी ग्रुप ने नहीं दी.

संबिधान के तहत देश को उन हाथो में दे जो संबिधान के साथ देश की तरक्की में तन्त्र को सुचारू रूप से चला सके।
उन लोगो को हटा दो जो चंद मौते न देख सकें, हमने आजादी लाखो लोगो के शहीद होने पर पाई है। साथ ही सारे देश से एक आवाज सुनी अंग्रेज देश छोडो।
यदि कोई सरकार के काम का कोई सिस्टम है तो वो बुक कहा से मिलेगी जिसमे सरकार के काम करने का तरीका लिखा हो व् क्या तरीका होगा कितने दिन लगेंगे आदि लिखा है। वो वेब साईट कहा है। वो स्कूल कहा है।
देश चलाना है तो रिजर्वेसन बिल केवल और केवल उन लोगो को मिलना चाहिए जो आपाहिज,अंधे,बहरे,गूंगे हो।
देश से रिजर्वेसन ख़त्म कर देना चाहिए।

  • देश वासियों ये तुम्हारे पूर्वजो का देश है ।
  • देश के लिए हम सभी काम करते है यदि हमारा घर हो,नौकरी हो, क्यों की देश की तरक्की में हम टेक्स देते है।
  • देश के बड़े लेनदेन में देश की जनता से क्यों न पूछा जाय।
  • किसी भी देसी या विदेसी कंपनी को उसकी सेवा के लिए उसे पूरे देश से कितना रुपया सालभर में दिया है सरकारी विभाग दुवारा, एक वेव साईट में नेशनल न्यूज़ पेपर में दिखाया जाये । सुचना का अधिकार दिया ठीक है पर क्यों ये अधिकार दिया इस लिए नाकि सब के सामने बात न जाहिर हो कर केवल उन लोगो को ही जानकारी मिले जिनको सरकार जानकारी दे सकती है। मतलब कुछ एक को। सारे देश को नहीं। येतो सरासर धोखा है। देश की जनता से।
  • माहिला बिल भी राजनीती है जब भारत में देश व् घर उन्हें बराबर का अधिकार दिया है तो राजनीती क्यों
  • देश में वे हमारी माँ,बहिन,है। उन्हे रोजगार दो न की रिजर्बेसन बिल कोई बिल किसी दुसरे का हक़ छिंद कर किसी दुसरे को देता है न की रोजगार तो ये राजनीती ही हुई । योग्यता के आधार पर रोजगार दो।
  • जोलोग पढना चाहते हो उन्हें फ्री एजुकेशन दो। फिर रोजगार दो।
  • जो ना पढना चाहते हो उन्हें टेक्नीकल काम सिखा दो,खेती दो,बस ड्राईवर बनादो आदि काम सरकारी कर दो। बाकि सबको पढ़ाओ। पर वेतन वैसा हो जैसा सरकारी पढ़े लिखे व्यक्ति का होता है। ताकि बो भी देश की आजादी में साँस ले सके।
  • क्या हो सकता है सरकार में वेलोग आये जो आई . ए. एस। एक्साम पास करके आये हो। या वैज्ञानिक हो। इंजिनियर या डॉक्टर हो।
  • नेता,मंत्री,प्रधान मंत्री, संसद के सभा पति जो हो उनके बच्चो को देश के गरीब घरो को दिखाया जाए, उनमे एक हफ्ता बिताने को बिना किसी सुविधा के भेजना चाहिए नहीं तो एक दान में दी गई गद्दी मिलने से गद्दी का मोल ,आन, और फर्ज याद रहे बो किसलिए वहा है।
  • टेंडर निकलना और कमीशन खाना सरकारी तन्त्र की आदत है ।