सोमवार, 30 जून 2014

AAP के स्वराज में है। हमारी दुनिया देखना सरकारों को है।

इलेक्ट्रोन को पकड़ कर उसके ऊपर प्रोग्राम लिखने की कला को मूर्त रूप देने के लिए यह लेख लिख रहा हूँ।
यह विचार अचानक ही आया की जब हजारो अरबो ट्रांजिस्टर CPU को काम करने के लिए बनाते है और इन्फोर्मेशन सिग्नल के रूप में प्रोसेस होती है।
बात इतनी सी है हम जो भी बोलते है वह भी सिग्नल है जो की स्पेस से होता हुआ हमारे कानो तक आता है हम मशीन को बोल कर उसे प्रोग्राम कर सकते है जैसे की हमारा दिमाक हमें काम करने के लिए प्रोग्राम करता है।