शनिवार, 15 मई 2010

Dear sir S.H. kapadiya supremecourt

http://www.supremecourtofindia.nic.in/new_s/constitution.htm
हिंदी को सार्थक बनाना जरूरी है.पारदर्शिता से ही देश से हर व्यक्ति को न्याय  मिलेगा क्यों की देश में एक भाषा का होना जरुरी है  लोगो को न्याय नहीं मिल रहा है. बकील क्या कहता है जज क्या सुनता है क्या डिसीजन है ये एक गरीव को कैसे पता चलेगा क्यों की बह तो अंग्रेजी नहीं जनता है.
किताबे हिंदी में होनी चाहिए देश के कानून की जो भी किताबे है बो भी हिंदी में होनी चहिये ता की गरीब से गरीब ब्यक्ति भी अपने लड़के को मामूली स्कूल में पढ़ा कर आप के जैसा कार्य कुशाल व्यक्ति देश को देसके.
सुप्रीम कोर्ट में सुनबाई हिंदी में हो ताकि देश की भाषा का सम्मान हो सके. संविधान में हिंदी देश की भाषा है. ठीक है हम बहुभाषीय देश में रहते है. तो क्या हम न्याय के लिए अंग्रेजी का सहारा ले. यदि ह़ा तो सरकारी स्कूलों में अंगेजी ही बोला जाय, लिखा जाये, अंगेजी मध्यं देश के सारे स्कूल करदेना चाहिए जो बकील अंग्रेजी जनता है वाही बकालत अच्छे से कर सकता है क्यों की सारी किताबे अंग्रेजी में है या फिर संबिधान इजाजत नहीं देता या हमने दबाब में आकर इसे बदल दिया है न्याय प्रक्रिया में देरी होना अंग्रेजी का होना भी कुछ हद तक जिम्मेदार है अंग्रेजी को जल्दी से पढना मुंकिन नहीं है जबकि हिंदी को पढना और देश को सुनना आच्छा है.

शनिवार, 8 मई 2010

जाती जनगणना और देश

  • राजनीती है।
  • रिजर्वेसन को समाप्त करने के लिए जरुरी है। की जरूरत को दिखाकर देश को बटने की बू आरही है।
  • जनता जनार्दन को गुस्सा नहीं आएगा नेता जी सबको रोजगार दो चाहे देश को विदेशी हाथो में देदो।
  • भ्रस्टाचार चरम पर ले जाओ देश में आप की नातो गद्दी होगी ना ना ही सरकार, और ना ही दुनिया के नक्से में भारत होगा।
  • आन्य देश भारत पर राज करेंगे काम सबके पास होगा रुपया भी होगा पर नियम इतने की गुलामी जैसा लगेगा पर कोई भी आबाज नहीं उठाएगा। वैसे ही जैसे कुछ लोग ही ब्रिटिश शासन में आवाज उठाते थे उन्हें डाकू, क्रन्तिकारी आदि नामो से जाना जाता था । हमारे आपने लोग तमासा देखते रहते थे।
  • मैंने एस .पी । साहब के तीन बंगले देखे जो शहर में किसी के नहीं हो सकते है यूनिक है दिखने में ।

शुक्रवार, 7 मई 2010

सुभाषचन्द्रबोस की तरह देश को कोई नेता चाहिए.

आज देश में गरीब मेहनत से खाने के लिए दो वक्त की रोटी तो जुटा लेता है। मोबाइल भी रखता है। इलाज भी है पर दबा नही है। क्योकि बो बहुत महंगी है। सरकारी हॉस्पिटल में केवल सस्ती दबा ही सस्ता इलाज ही है। आजादी का मोल भूल कर पैसा कमाने में लगे है। ठीक है कानून अंधा।


  • बिना सरकारी नियम के मजदूरों ने भी आपनी वेतन बढ़ा लिया है।
  • दुकान बाले बिना बताये दाम बढ़ा देते है। आलग से अंकित मूल्य पर लेबल लगा देते है।
  • पेट्रोल पम्प में तेल काम मिलता है। क्यों की उनके कर्मचारियों का वेतन कम है।

हिंदुस्तान में बोलने की आजादी, हमे हमारे संबिधान ने दी है.किसी सरकार रूपी ग्रुप ने नहीं दी.

संबिधान के तहत देश को उन हाथो में दे जो संबिधान के साथ देश की तरक्की में तन्त्र को सुचारू रूप से चला सके।
उन लोगो को हटा दो जो चंद मौते न देख सकें, हमने आजादी लाखो लोगो के शहीद होने पर पाई है। साथ ही सारे देश से एक आवाज सुनी अंग्रेज देश छोडो।
यदि कोई सरकार के काम का कोई सिस्टम है तो वो बुक कहा से मिलेगी जिसमे सरकार के काम करने का तरीका लिखा हो व् क्या तरीका होगा कितने दिन लगेंगे आदि लिखा है। वो वेब साईट कहा है। वो स्कूल कहा है।
देश चलाना है तो रिजर्वेसन बिल केवल और केवल उन लोगो को मिलना चाहिए जो आपाहिज,अंधे,बहरे,गूंगे हो।
देश से रिजर्वेसन ख़त्म कर देना चाहिए।

  • देश वासियों ये तुम्हारे पूर्वजो का देश है ।
  • देश के लिए हम सभी काम करते है यदि हमारा घर हो,नौकरी हो, क्यों की देश की तरक्की में हम टेक्स देते है।
  • देश के बड़े लेनदेन में देश की जनता से क्यों न पूछा जाय।
  • किसी भी देसी या विदेसी कंपनी को उसकी सेवा के लिए उसे पूरे देश से कितना रुपया सालभर में दिया है सरकारी विभाग दुवारा, एक वेव साईट में नेशनल न्यूज़ पेपर में दिखाया जाये । सुचना का अधिकार दिया ठीक है पर क्यों ये अधिकार दिया इस लिए नाकि सब के सामने बात न जाहिर हो कर केवल उन लोगो को ही जानकारी मिले जिनको सरकार जानकारी दे सकती है। मतलब कुछ एक को। सारे देश को नहीं। येतो सरासर धोखा है। देश की जनता से।
  • माहिला बिल भी राजनीती है जब भारत में देश व् घर उन्हें बराबर का अधिकार दिया है तो राजनीती क्यों
  • देश में वे हमारी माँ,बहिन,है। उन्हे रोजगार दो न की रिजर्बेसन बिल कोई बिल किसी दुसरे का हक़ छिंद कर किसी दुसरे को देता है न की रोजगार तो ये राजनीती ही हुई । योग्यता के आधार पर रोजगार दो।
  • जोलोग पढना चाहते हो उन्हें फ्री एजुकेशन दो। फिर रोजगार दो।
  • जो ना पढना चाहते हो उन्हें टेक्नीकल काम सिखा दो,खेती दो,बस ड्राईवर बनादो आदि काम सरकारी कर दो। बाकि सबको पढ़ाओ। पर वेतन वैसा हो जैसा सरकारी पढ़े लिखे व्यक्ति का होता है। ताकि बो भी देश की आजादी में साँस ले सके।
  • क्या हो सकता है सरकार में वेलोग आये जो आई . ए. एस। एक्साम पास करके आये हो। या वैज्ञानिक हो। इंजिनियर या डॉक्टर हो।
  • नेता,मंत्री,प्रधान मंत्री, संसद के सभा पति जो हो उनके बच्चो को देश के गरीब घरो को दिखाया जाए, उनमे एक हफ्ता बिताने को बिना किसी सुविधा के भेजना चाहिए नहीं तो एक दान में दी गई गद्दी मिलने से गद्दी का मोल ,आन, और फर्ज याद रहे बो किसलिए वहा है।
  • टेंडर निकलना और कमीशन खाना सरकारी तन्त्र की आदत है ।

गुरुवार, 6 मई 2010

हम अब तरक्की करेंगे.मशीन है हार्डवेयर नेनो से सेंटीमीटर बनानेकी






नेनो चिप लेवल का काम होगा । समुद्री उपकरण बनेंगे जो की सुनामी या भूकंप को बता सकते है। जासूसी उपकरण बनाये जा सकते है। सैत्लाईट का रूप छोटा हो सकता है। मेडिकल की मशीने छोटी हो सकती है। मानव शारीर के अन्दर उसका परिचय रखा जा सकता जो कम्प्यूटर के जरिये देखा जा सकता है। कुल मिला के फिल्मो की तर्ज पर जो सपने कहानी कार देखते थे . अब साकार हो जायेंगे।
रोबोट्स बनाये जा सकते है जिसे आप देखेंगे तो लगेगा की ये कोई आदमी ही है। जो की रातदिन काम करता है विना रुके मशीन जैसा नहीं दिखेगा रोबोट। ................................
देश में ही कंप्यूटर पार्ट्स बनेंगे कम्पूटर का रूप बदल जायेगा अब से वह हमारी कलाई पर होगा और जो हम बोलेंगे बो उसका इनपुट होगा। कुल मिलके होगा बो जो हम चाहेगे।

बुधवार, 5 मई 2010

आइन्स्टीन ने कहा था की कुछ तेज नहीं है प्रकाश की गति से

मेरा विचार है। में बाद में समझाता हु पहले आप को मेरे दिमाग की गुत्थी सुनाता हु ताकि आपको यह समझने में कोई मुस्किल न हो। " किसी भी छोटे से छोटे पार्टिकल पर ग्रेवटी का असर होता होगा तो ग्रेविटी किस पार्टिकल से बनी है
लाइट ८मिनित में प्रथ्वी पर आती है लाइट के बानने के लिए एलेक्ट्रोन को हाई एनर्जी बैंड में जाकर बापिस ग्रेविटी के कारण परमाणु से जुड़ते है। फिरसे एनर्जी देतेही फिर एलेक्ट्रोन हाई एनर्जी बैंड में चले जाते है। तो मालूम हुआ की लाइट भी ग्रेविटी से खिचती है। ग्रेविटी से स्वतंत्र नहीं है प्रकाश की गति।
ग्रेविटी बनती कैसे है ।
उत्तर है। ग्रेविटी कुछ नहीं आइन्स्टीन ने कहा था दो पार्टिकल के बिच लगने बाला बल है। यह बल काम कैसे करता है। हमें बुक ने बता दिया है। अब चाहे वह गृह हो या आकाशगंगा।

वैज्ञानिक क्या है सरकार की मान्यता कुछ लालची लोगो का समूह जो आम आदमी की मेहनत का खा रहेहै। मुझ जैसे विचारको का विचार सुनकर लैब मे जाते है सभा संबोधित करते है।
हमारी लैब में सब था पर आज प्रोफेसर के घर में है या फिर कचरे घर में।
में ने सर से कहा सर आपने तो पि एच डी की है हम कुछ बना सकते है सर बोले घर के काम से फुरसत नहीं मिलती है।
मेने सोचा है अब की बार मंत्री जी से एक छोटी सी लैब के लिए ईमेल करता हु फिर कालेज के अंदर एक से एक उपयोगी वस्तु यन्त्र बना कर कालेज को फेक्ट्री में और लडको को उसी में नौकरी भी मिला करेगी जो की आगे जाकर देश की तकनीक में वास्तव में वैज्ञानिको का शहर व् देश होगा।