रविवार, 28 फ़रवरी 2010

कुछ तो है. नाम नहीं देसकता हु.

पानी से रास्ता निकलता है चुम्बकीय निडिल बताती है। टाइम फेल सकता है। कुछ आश्चर्य होने जा रहा है।
पता नहीं क्या होगा पर ४८ घंटे सोचने का समय चाहिए । पर एसा कोई दिन नहीं मिलता की कुछ सोच कर कुछ करू । " पानी पर फील्ड (चुम्बकीय रेखाओं) का कुछ असर नहीं होता है। आप में यदि सोच ने की ताकत है तो सोचो" बुलबुले लेकर एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

टाइम लाइन,& स्पेस भूत और भविष्य

टाइम लाइन- यदि हमें कोई दूर से देख ता है। ४:०० बजे और कहता है रुपेश तुम पार्क में बेटे के साथ हो पर मे कहता हूँ नहीं मे तो टीवी देख रहा हूँ और आभी ५:00 बजा है। देखने बाला और सुनने बाला दोनों सही है । दोनों की घड़ी सही है। टाइम भी सही है। चूँकि देखने बाला बहुत दूर है और टाइम (समय) फैल गया है। इस लिए १ घंटे का अंतर आ रहा है।
अर्थात स्पेस (आकाश)में घड़ी काम नहीं करती है। कुछ निश्चित नहीं है। टाइम छोटा एव बड़ा होता रहता है स्पेस में।
टेररिस्ट(आतंकबादी) को पकड़ने के लिए हम कुछ कर सकते है हम उन्हें दो दिन पहले देख सकते है वे कहा थे। किस्से मिले कहा गए। हम टाइम को बड़ा कर दो दिन पहले की तस्वीर देख सकते है। टाइम को छोटा कर भविष्य को देख सकते है।
हमे सीखाओ हर वरस डिग्री देते जाते हो। हमने कॉलेज में प्रवेश इस लिए नहीं लिया की हमारी सोच को एक रूप भी ना दे सके, तो जीना क्या जीवन से हारके। हम नौकरी के लिए पढाई करते है। हमे कोई नौकरी भी नहीं देता है।