शनिवार, 13 मार्च 2021

सामाजिक जीवन (शादी) फिर दोस्ती और झगड़े फिर तलाक?? क्योंकि प्रेम नहीं था / या दोस्ती फिर प्रेम और अंत में शादी फिर तलाक ???

चार स्थिति ले रहा हूँ और लिखने की कोशिस कर रहा हूँ।  जो निम्न प्रकार से है - जब दो या दो से अधिक व्यक्ति शादी करते है दोस्ती करते है प्रेम करते है तब गलती किसकी होती है ? 
  • दो व्यक्तियों की सामाजिक जीवन हेतु शादी , फिर साथ रहते रहते दोस्ती और झगड़े फिर तलाक?? बजह उन व्यक्तियों के मध्य कोई प्रेम नहीं था।  
  • सामाजिक जीवन (शादी) फिर बच्चे, तब मतलब की दोस्ती और प्यार का दिखावा और अंत झगड़े, फिर तलाक?? बजह उन व्यक्तियों के मध्य प्रेम का न बन पाना क्योंकि एक व्यक्ति का शादी के अलाबा किसी अन्य व्यक्ति से लगातार जुड़ाव या प्रेम में होना और दूसरी तरफ जबरजस्ती से हुई शादी और फिर उसे तोड़ने की कोशिश में अदालत जाना जहाँ बच्चे का होना न होना कोई मायने न रखता हो।  
  • AB दो व्यक्तियों के मध्य दोस्ती होना ,प्रेम होना फिर दोनों AB व्यक्तियों की शादी आपस में न हो पाना, फिर दोनों की अलग अलग शादी हो जाना A की C से और B की D से, तब C&D को पता ही नहीं वह किस जीवन में प्रवेश करने बाले है। ऐसे में  A  की C से जबरजस्ती सामाजिक जीवन के लिए  सामाजिक (शादी) हुई फिर बच्चे, मतलब की दोस्ती और झगड़े, फिर तलाक?? बजह उन A & C व्यक्तियों के मध्य प्रेम का न बन पाना, क्योंकि A & B का शादी के बाद भी लगातार जुड़ाव या प्रेम में होना C & D के लिए तख़लीफ़ देय है और A का बच्चे के लिए अधिकार माँगना , दूसरी तरफ जबरजस्ती से हुई शादी को तोड़ने की कोशिश में अदालत जाना जहाँ बच्चे का होना या न होना कोई मायने न रखता हो। क्या C&D को न्याय मिलेगा ?? जहाँ  C का भी तो बच्चे पर अधिकार है और A ने B से हुए प्रेम व् रिश्तों की बात छिपाई और C को धोखा देकर सामाजिक शादी की है यही सब B ने D व्यक्ति के साथ किया है।  
  • दो व्यक्ति मिले दोस्ती हुई फिर प्रेम हुआ और अंत में शादी हुई फिर तलाक ??? दोनों ने ले लिया बजह एक को दूसरे के साथ नहीं रहना है।  
  • दोस्ती फिर प्रेम और शादी किसी तीसरे से मतलब जबरजस्ती शादी में होना।
चारों बजह में यदि तलाक होना तय है तो इसे सरल करने में कोई हर्ज नहीं है और सच दिखाने की कोशिश क्या कारण है ढूंढने की क्या बजह क्यों है ? फिर व्यक्तियों के आपसी झगडे के लिए कौन-कौन से कारण जिम्मेदार है। आगे आपको बतलाने की कोशिश करता हूँ जो निम्न लिखित है।  

A - पति और पत्नी के मध्य झगडे बढ़ने या बढ़ाने के लिए जिम्मेदार कौन है।
 
१ - दो लोगों का भिन्न शिक्षा,पृष्ठभूमी, रहनसहन, आचार विचार को ग्रहण करना उनकी मजबूरी है वे जंगल नहीं जा सकते है और उन्हें सामाजिक जीवन (शादी) में जबरजस्ती बाँधा जाना समाज व कानून जिम्मेदार है ,और खुलकर बोलना शादी के पहले शपथ पत्र क्यों नहीं बनाना चाहिए जब शादी एक कॉन्ट्रेक्ट है जिसे पंडित फेरों के समय सात वचन पढ़वाता है ,काजी मोलबी पढ़ता है और लोग गवाह बनते है ?

भारतीय या अन्य समाज में बढ़ते झगड़ो को नियंत्रित करने के लिए सरकारों द्वारा अनेकों कानूनों नियमों का बनाया जाना न काफी है जैसे की घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 जिसे २००६ में लागू किया गया। बल्कि इन नियमों के तहत कानूनी लड़ाई लड़ते है उन जोड़ो का तलाक अन्ततः हो जाता है।  

क्योंकि सत्य खोजने की कोशिश की ही नहीं गई। सामाजिक विज्ञान और संस्कृति का बदलना जिसे सरकारों ने अनदेखा किया और लगातार कर भी रही है जबकि सामाजिक विज्ञान बहुत आगे निकल चूका है। तेजी से दुनिया में रहनसहन के स्तरों में विकास या कहे बदलाब लाया या आया गया है और इसे डिजिटल क्रांति के माध्यम से बदला गया है। 
 
२ - आर्थिक रूप से मजबूती कैरियर के लिए महिला या पुरुष द्वारा लेखन,धारावाहिक नाटक, फिल्मों का बनाया जाना सामाजिक जीवन पर असर छोड़ता है जो वास्तविकता से भिन्न होता है। उदाहरण के तौर पर डिजिटल  टेलीविजनों पर दिखाया गया जहर अशिक्षित को अपराधी बना रहा है। और अशिक्षित महिलाओं को शिक्षित पुरुषों के साथ खड़ा कर शिक्षित पुरुषों का शोषण हो रहा है जिसमें सामाजिक शादियों का टिक पाना मुंकिन नहीं है क्योंकि शारीरिक बनावट हर व्यक्ति की अलग अलग है और शादी से पहले या बादमे किसी तीसरे का बीचमें आना शादी को तोड़ देता है। और इस इस स्थिति में भरण पोषण की जिम्मेदारी एक व्यक्ति पर डालना उस व्यक्ति का जीवन छिंदने का काम करता है।