शनिवार, 25 दिसंबर 2010

भ्रष्टाचार दूर करने के उपाय

१महिने में देश को भ्रष्टाचार से मुक्ति मिलजाएगी
वर्तमान करेंसी को ख़त्म कर दोसबको इन्टरनेट बैंकिंग से जोड़ दो। सबको यूनिक आईडी जिसमे उनका बायोडाटा,वोटर आईडी, अंगुठे का प्रिंट, जिसमे मेग्नेटिक स्ट्रिप ऐ टी एम् की तरह हो,
जिसका उपयोग -मतदान वोटिंग,बैंक,ट्रेन, बस,मार्केट,एरोप्लेन,टैक्स ऑफिस,पुलिश शिकायत करने,मेडिकल हॉस्पिटल, आदि जगहों पर होसकेगा इसके बिना आप एक किलो प्याज भी नहीं खरीद सकते। क्योकि प्याज विक्रेता के पास भी मोबाइल इन्टरनेट स्वैप मशीन के आलावा कुछ नहीं होगा। इसी तरह हर प्राइवेट कर्मचारी के पास मशीन होगी। इस कार्ड वितरण बैंको के माध्यम से हर बच्चे से लेकर व्यस्क को उस दिन के पहले कर दो, जिस दिन से भारत की करेंसी ख़त्म की जा रही हो।

  • फायदा - टैक्स टाइम पर मिलेगामंत्रियो के पास निश्चित रुपया पैसा होगाउद्योगों तथा सरकार जबाबदेही होगीनाकि जनता, जनता अपना सही लोकतंत्र का इस्तेमाल करेगी।, जनता की किसी भी विषय में तुरंत राय ली जा सकती है

लोगो की जरुरी सुबिधाये उन्हे नहीं मिल रही है। जिन्हे पाने केलिए निचे से ऊपर तक भ्रष्टाचार इन सुबिधाओ को पाने के लिए समाज में व्याप्त है। इसके लिए हमारे देश की राजनीति जिम्मेदार है। अब कला धन समाप्त करने देश में नै उर्जा भरने के लिए जरुरी है की पहले यह काम हो।
मै एक आम इन्सान हूँ , जो एक वैज्ञानिक बानने का स्वप्न देख रहा था। पर भारत स्वाभिमान के -विचारो ने मुझे पहले देश की और देखने को कहा है।
  1. अच्छा खाना सभी को मिलना चाहिए
  2. अच्छा पानी सभी को मिले।
  3. अच्छा वेतन मिले।
  4. सभी के बच्चो को उनके मन मुताबिक स्कूल,कॉलेज मिले।
  5. सभी को उनके मन मुताबिक घर चाहिए।
  6. सभी को संचार फ्री मिले अर्थात मोबाईल और इन्टरनेट
  7. सभी को अच्छा यातायात जिसके लिए सड़क अच्छी मिले।

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

कानून

कानून दो काम करता है
१-एक आच्छे आदमी को मुलजिम बना देता है
२-और एक मुलजिम को और दिमाग देता है और चालक कर देता है की उससे कैसे बचो।
कानून बनाने के लिए
१ और २ से पूछो ????? करे आज जब तीसरा वर्ल्ड वार होने को है। विकी लीक्स को क्यों बंद किया ????

गुरुवार, 30 सितंबर 2010

help bhopal human

गोविन्दपुरा भोपाल झुग्गी बस्तियों को बहुत सेफ्टी की जरुरत है. लखनऊ मे भी जरुरत है गाव मे लोग घर से नहीं निकल रहे है,
रात मे लोग इक्कठा  होते रहे है बहुत दिनों से आज रात मे भी एकसाथ बैठे थे.
राम रहीम दोनों को हटा कर इंसान को बिठा दो. राम भी नहीं चाहते न रहीम की कोई भी उनके नाम का गलत उपयोग करके हजारो लोगो की जान का जिम्मेदार बने या एक भले आदमी को जिम्मेदार ठहराए.
देश पहले है, बे लोग जो हमें आनाज उगा के देते है बे हमारे ही भाई है जिन हाथो से रोज सबेरे हम चाय पीते है. बो हमारे लिए क्या नहीं करते हम सब एक साथ सास लेते है इस धरती मे कोन राम या कोन रहीम आ कर हमारा काम करता है. हमे खुद करना पड़ता है खुद की रोटी के साथ दुसरो की भी बनाना पड़ता है.

रविवार, 1 अगस्त 2010

country will be changed if you have.....

यदि आप देश की जनता को बदला हुआ गाँधी का देश देना चाहते है तो बहुत सा रुपया पैसा चहिये.  केबल चुनाब लड़ना होगा और आपके ही प्रतिनिधि दुसरे राज्य में हो मतलब एक कम्पनी जो पुरे देश में फैली हो और जनता को हासिल करने के लिए छोटी बस्तियों कालोनियों में सड़क, पानी, विजली, की सुविधा देना होगा जिसके बदले में चुनाव में खड़े होने केलिए रास्ता बने और जीत पक्की हो जाये. क्योकि ये लोकतांत्रिक देश है और इसे जीता जा सकता है
पार्टी हो या कम्पनी दोनों एक ही काम करती है आज के दौर में ऐसा ही हो रहा है. सरकार में जाने के बाद आप पूरी तरह जनता के टैक्स पर होजाते है और देश में टैक्स कोन देता है समझे, तो कम्पनिया ही देश chalati है और सरकार भी देश को चलने के लिए कुछ कम्पनियों पर निर्भर है. तो आज क्या जनता अपना दिमाक नहीं चलाती है.
२५००० राज्यों बाले देश भारत को हमने अंग्रेजो से ६ राज्यों बाला भारत पाया आब फिरसे हम उसी हजार राज्यों बाले देश को चाहते है क्या जिसमे राजा राज करे जनता भूखी काम करे. तो दिमाक लगा कर उसी को बोट दे जो देश के हित मे हो, न समझा में आये तो हमारी पत्रिका को पड़े जो जल्द ही चुनाब में खड़े होने बाले का चिठा खोलती है उसके परिवार से लेकर उसकी एजुकेसन (पढ़ाई) उसकी सोच काम करने का तरीका यदि उसे सत्ता सौपी जाए तो क्या बो उस काम के लिए कहा से रुपया जुटाएगा और कैसे काम करे गा की गाँधी का देश अहिंसा प्रिये देश बन सके.

शनिवार, 15 मई 2010

Dear sir S.H. kapadiya supremecourt

http://www.supremecourtofindia.nic.in/new_s/constitution.htm
हिंदी को सार्थक बनाना जरूरी है.पारदर्शिता से ही देश से हर व्यक्ति को न्याय  मिलेगा क्यों की देश में एक भाषा का होना जरुरी है  लोगो को न्याय नहीं मिल रहा है. बकील क्या कहता है जज क्या सुनता है क्या डिसीजन है ये एक गरीव को कैसे पता चलेगा क्यों की बह तो अंग्रेजी नहीं जनता है.
किताबे हिंदी में होनी चाहिए देश के कानून की जो भी किताबे है बो भी हिंदी में होनी चहिये ता की गरीब से गरीब ब्यक्ति भी अपने लड़के को मामूली स्कूल में पढ़ा कर आप के जैसा कार्य कुशाल व्यक्ति देश को देसके.
सुप्रीम कोर्ट में सुनबाई हिंदी में हो ताकि देश की भाषा का सम्मान हो सके. संविधान में हिंदी देश की भाषा है. ठीक है हम बहुभाषीय देश में रहते है. तो क्या हम न्याय के लिए अंग्रेजी का सहारा ले. यदि ह़ा तो सरकारी स्कूलों में अंगेजी ही बोला जाय, लिखा जाये, अंगेजी मध्यं देश के सारे स्कूल करदेना चाहिए जो बकील अंग्रेजी जनता है वाही बकालत अच्छे से कर सकता है क्यों की सारी किताबे अंग्रेजी में है या फिर संबिधान इजाजत नहीं देता या हमने दबाब में आकर इसे बदल दिया है न्याय प्रक्रिया में देरी होना अंग्रेजी का होना भी कुछ हद तक जिम्मेदार है अंग्रेजी को जल्दी से पढना मुंकिन नहीं है जबकि हिंदी को पढना और देश को सुनना आच्छा है.

शनिवार, 8 मई 2010

जाती जनगणना और देश

  • राजनीती है।
  • रिजर्वेसन को समाप्त करने के लिए जरुरी है। की जरूरत को दिखाकर देश को बटने की बू आरही है।
  • जनता जनार्दन को गुस्सा नहीं आएगा नेता जी सबको रोजगार दो चाहे देश को विदेशी हाथो में देदो।
  • भ्रस्टाचार चरम पर ले जाओ देश में आप की नातो गद्दी होगी ना ना ही सरकार, और ना ही दुनिया के नक्से में भारत होगा।
  • आन्य देश भारत पर राज करेंगे काम सबके पास होगा रुपया भी होगा पर नियम इतने की गुलामी जैसा लगेगा पर कोई भी आबाज नहीं उठाएगा। वैसे ही जैसे कुछ लोग ही ब्रिटिश शासन में आवाज उठाते थे उन्हें डाकू, क्रन्तिकारी आदि नामो से जाना जाता था । हमारे आपने लोग तमासा देखते रहते थे।
  • मैंने एस .पी । साहब के तीन बंगले देखे जो शहर में किसी के नहीं हो सकते है यूनिक है दिखने में ।

शुक्रवार, 7 मई 2010

सुभाषचन्द्रबोस की तरह देश को कोई नेता चाहिए.

आज देश में गरीब मेहनत से खाने के लिए दो वक्त की रोटी तो जुटा लेता है। मोबाइल भी रखता है। इलाज भी है पर दबा नही है। क्योकि बो बहुत महंगी है। सरकारी हॉस्पिटल में केवल सस्ती दबा ही सस्ता इलाज ही है। आजादी का मोल भूल कर पैसा कमाने में लगे है। ठीक है कानून अंधा।


  • बिना सरकारी नियम के मजदूरों ने भी आपनी वेतन बढ़ा लिया है।
  • दुकान बाले बिना बताये दाम बढ़ा देते है। आलग से अंकित मूल्य पर लेबल लगा देते है।
  • पेट्रोल पम्प में तेल काम मिलता है। क्यों की उनके कर्मचारियों का वेतन कम है।

हिंदुस्तान में बोलने की आजादी, हमे हमारे संबिधान ने दी है.किसी सरकार रूपी ग्रुप ने नहीं दी.

संबिधान के तहत देश को उन हाथो में दे जो संबिधान के साथ देश की तरक्की में तन्त्र को सुचारू रूप से चला सके।
उन लोगो को हटा दो जो चंद मौते न देख सकें, हमने आजादी लाखो लोगो के शहीद होने पर पाई है। साथ ही सारे देश से एक आवाज सुनी अंग्रेज देश छोडो।
यदि कोई सरकार के काम का कोई सिस्टम है तो वो बुक कहा से मिलेगी जिसमे सरकार के काम करने का तरीका लिखा हो व् क्या तरीका होगा कितने दिन लगेंगे आदि लिखा है। वो वेब साईट कहा है। वो स्कूल कहा है।
देश चलाना है तो रिजर्वेसन बिल केवल और केवल उन लोगो को मिलना चाहिए जो आपाहिज,अंधे,बहरे,गूंगे हो।
देश से रिजर्वेसन ख़त्म कर देना चाहिए।

  • देश वासियों ये तुम्हारे पूर्वजो का देश है ।
  • देश के लिए हम सभी काम करते है यदि हमारा घर हो,नौकरी हो, क्यों की देश की तरक्की में हम टेक्स देते है।
  • देश के बड़े लेनदेन में देश की जनता से क्यों न पूछा जाय।
  • किसी भी देसी या विदेसी कंपनी को उसकी सेवा के लिए उसे पूरे देश से कितना रुपया सालभर में दिया है सरकारी विभाग दुवारा, एक वेव साईट में नेशनल न्यूज़ पेपर में दिखाया जाये । सुचना का अधिकार दिया ठीक है पर क्यों ये अधिकार दिया इस लिए नाकि सब के सामने बात न जाहिर हो कर केवल उन लोगो को ही जानकारी मिले जिनको सरकार जानकारी दे सकती है। मतलब कुछ एक को। सारे देश को नहीं। येतो सरासर धोखा है। देश की जनता से।
  • माहिला बिल भी राजनीती है जब भारत में देश व् घर उन्हें बराबर का अधिकार दिया है तो राजनीती क्यों
  • देश में वे हमारी माँ,बहिन,है। उन्हे रोजगार दो न की रिजर्बेसन बिल कोई बिल किसी दुसरे का हक़ छिंद कर किसी दुसरे को देता है न की रोजगार तो ये राजनीती ही हुई । योग्यता के आधार पर रोजगार दो।
  • जोलोग पढना चाहते हो उन्हें फ्री एजुकेशन दो। फिर रोजगार दो।
  • जो ना पढना चाहते हो उन्हें टेक्नीकल काम सिखा दो,खेती दो,बस ड्राईवर बनादो आदि काम सरकारी कर दो। बाकि सबको पढ़ाओ। पर वेतन वैसा हो जैसा सरकारी पढ़े लिखे व्यक्ति का होता है। ताकि बो भी देश की आजादी में साँस ले सके।
  • क्या हो सकता है सरकार में वेलोग आये जो आई . ए. एस। एक्साम पास करके आये हो। या वैज्ञानिक हो। इंजिनियर या डॉक्टर हो।
  • नेता,मंत्री,प्रधान मंत्री, संसद के सभा पति जो हो उनके बच्चो को देश के गरीब घरो को दिखाया जाए, उनमे एक हफ्ता बिताने को बिना किसी सुविधा के भेजना चाहिए नहीं तो एक दान में दी गई गद्दी मिलने से गद्दी का मोल ,आन, और फर्ज याद रहे बो किसलिए वहा है।
  • टेंडर निकलना और कमीशन खाना सरकारी तन्त्र की आदत है ।

गुरुवार, 6 मई 2010

हम अब तरक्की करेंगे.मशीन है हार्डवेयर नेनो से सेंटीमीटर बनानेकी






नेनो चिप लेवल का काम होगा । समुद्री उपकरण बनेंगे जो की सुनामी या भूकंप को बता सकते है। जासूसी उपकरण बनाये जा सकते है। सैत्लाईट का रूप छोटा हो सकता है। मेडिकल की मशीने छोटी हो सकती है। मानव शारीर के अन्दर उसका परिचय रखा जा सकता जो कम्प्यूटर के जरिये देखा जा सकता है। कुल मिला के फिल्मो की तर्ज पर जो सपने कहानी कार देखते थे . अब साकार हो जायेंगे।
रोबोट्स बनाये जा सकते है जिसे आप देखेंगे तो लगेगा की ये कोई आदमी ही है। जो की रातदिन काम करता है विना रुके मशीन जैसा नहीं दिखेगा रोबोट। ................................
देश में ही कंप्यूटर पार्ट्स बनेंगे कम्पूटर का रूप बदल जायेगा अब से वह हमारी कलाई पर होगा और जो हम बोलेंगे बो उसका इनपुट होगा। कुल मिलके होगा बो जो हम चाहेगे।

बुधवार, 5 मई 2010

आइन्स्टीन ने कहा था की कुछ तेज नहीं है प्रकाश की गति से

मेरा विचार है। में बाद में समझाता हु पहले आप को मेरे दिमाग की गुत्थी सुनाता हु ताकि आपको यह समझने में कोई मुस्किल न हो। " किसी भी छोटे से छोटे पार्टिकल पर ग्रेवटी का असर होता होगा तो ग्रेविटी किस पार्टिकल से बनी है
लाइट ८मिनित में प्रथ्वी पर आती है लाइट के बानने के लिए एलेक्ट्रोन को हाई एनर्जी बैंड में जाकर बापिस ग्रेविटी के कारण परमाणु से जुड़ते है। फिरसे एनर्जी देतेही फिर एलेक्ट्रोन हाई एनर्जी बैंड में चले जाते है। तो मालूम हुआ की लाइट भी ग्रेविटी से खिचती है। ग्रेविटी से स्वतंत्र नहीं है प्रकाश की गति।
ग्रेविटी बनती कैसे है ।
उत्तर है। ग्रेविटी कुछ नहीं आइन्स्टीन ने कहा था दो पार्टिकल के बिच लगने बाला बल है। यह बल काम कैसे करता है। हमें बुक ने बता दिया है। अब चाहे वह गृह हो या आकाशगंगा।

वैज्ञानिक क्या है सरकार की मान्यता कुछ लालची लोगो का समूह जो आम आदमी की मेहनत का खा रहेहै। मुझ जैसे विचारको का विचार सुनकर लैब मे जाते है सभा संबोधित करते है।
हमारी लैब में सब था पर आज प्रोफेसर के घर में है या फिर कचरे घर में।
में ने सर से कहा सर आपने तो पि एच डी की है हम कुछ बना सकते है सर बोले घर के काम से फुरसत नहीं मिलती है।
मेने सोचा है अब की बार मंत्री जी से एक छोटी सी लैब के लिए ईमेल करता हु फिर कालेज के अंदर एक से एक उपयोगी वस्तु यन्त्र बना कर कालेज को फेक्ट्री में और लडको को उसी में नौकरी भी मिला करेगी जो की आगे जाकर देश की तकनीक में वास्तव में वैज्ञानिको का शहर व् देश होगा।

शुक्रवार, 2 अप्रैल 2010

भारत और उसके पडोसी

आखो में आसू है मेरा देश कितना और टूटेगा एकतरफ दुनिया एक हो रही है और देश १९०९ में क्या था और अब क्या है। बंगला देश ,पाकिस्तान, यदि न होते तो हम आज आर्थिक रूप से आगे होते किसी भी देश में आसानी से जा आ सकते रोड ,रेल, के रस्ते।
आज तुर्की से पाकिस्तान तक रेल लाइन आ चुकी है १४ अगस्त २००८ तुर्की-इरान-पाकिस्तान रेल लाइन ६५००कि

जिससे पाकिस्तान तुर्की-ईरान से जुड़ गया है। वहा चीन-जर्मनी-पोलेंड-बेलारूस-रूस से जुड़ गया है। रेल से मॉल आजा रहा है। आच्छा है हमारे घर पर सब को खाने को आज है पर कल आबादी को यदि .....

गुरुवार, 1 अप्रैल 2010

जर्मनी से चीन तक रेल लाइन २००७ में बनी


आज चीन की तरक्की का राज है।
बीजिंग से मोंगोलिया,रूस,बेलारूस और पोलैंड से होती हुई हमबर्ग जर्मनी जाती हुई मॉल गाड़ी है।

शुक्रवार, 26 मार्च 2010

मेरा स्वप्न ! टाइम बिनडो के रस्ते कही में भूतो से मिला

तीनो काल एक दुसरे के सामानांतर है। यह मेरा स्वपन था। एक मशीन से जिसमे चुम्बक लगा था। पुरे पदार्थ को तोड़ कर
सिस्टम के अनुसार वेव को अलग कर रहा था कुछ था जो भूल गया। ग्रेविटी खीच रही थी उसीमे से नया हुबहू दूसरा आस्क सामने था। बो सब जनता था जो मेने किया या करूँगा आगे। मेने प्रश्न किया कैसे संभव है की में और तुम एक है। बो बोला अरे ग्रेविटी तो एक है बस मुझे उत्तर मिलगया पर में भूल गया।
स्वप्न से बहार आते आते केबल इतना ही याद रह गया। में तुरंत लिखना चाहता था पर उठते ही मम्मी ने बुला लिया की फ़ोन आया है।
यकीन करो उस दिन सरे दिन इतना सुखद महसूस हुआ की जैसे साडी दुनिया एक तरफ और मे एक तरफ जिसे रस्ते मे देखा मेने सोचा अरे ये तो फिर से मिलेंगे ये फालतू लड़ रहे है। मेरा तेरा कर रहे है। किसी का कुछ नहीं है।

भूत कुछ नहीं है बे हम में से ही है जो सामानांतर चलरही टाइम लाइन नहीं टाइम कुछ नहीं है कोई सदिश नहीं है इसे लिखा नहीं जा सकता पता नहीं क्यों। लिख पा रहाहू जो कहना चाहता हु वों कह नहीं पा रहा हू।

शनिवार, 6 मार्च 2010

रविवार, 28 फ़रवरी 2010

कुछ तो है. नाम नहीं देसकता हु.

पानी से रास्ता निकलता है चुम्बकीय निडिल बताती है। टाइम फेल सकता है। कुछ आश्चर्य होने जा रहा है।
पता नहीं क्या होगा पर ४८ घंटे सोचने का समय चाहिए । पर एसा कोई दिन नहीं मिलता की कुछ सोच कर कुछ करू । " पानी पर फील्ड (चुम्बकीय रेखाओं) का कुछ असर नहीं होता है। आप में यदि सोच ने की ताकत है तो सोचो" बुलबुले लेकर एक्सपेरिमेंट किया जा सकता है।

बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

टाइम लाइन,& स्पेस भूत और भविष्य

टाइम लाइन- यदि हमें कोई दूर से देख ता है। ४:०० बजे और कहता है रुपेश तुम पार्क में बेटे के साथ हो पर मे कहता हूँ नहीं मे तो टीवी देख रहा हूँ और आभी ५:00 बजा है। देखने बाला और सुनने बाला दोनों सही है । दोनों की घड़ी सही है। टाइम भी सही है। चूँकि देखने बाला बहुत दूर है और टाइम (समय) फैल गया है। इस लिए १ घंटे का अंतर आ रहा है।
अर्थात स्पेस (आकाश)में घड़ी काम नहीं करती है। कुछ निश्चित नहीं है। टाइम छोटा एव बड़ा होता रहता है स्पेस में।
टेररिस्ट(आतंकबादी) को पकड़ने के लिए हम कुछ कर सकते है हम उन्हें दो दिन पहले देख सकते है वे कहा थे। किस्से मिले कहा गए। हम टाइम को बड़ा कर दो दिन पहले की तस्वीर देख सकते है। टाइम को छोटा कर भविष्य को देख सकते है।
हमे सीखाओ हर वरस डिग्री देते जाते हो। हमने कॉलेज में प्रवेश इस लिए नहीं लिया की हमारी सोच को एक रूप भी ना दे सके, तो जीना क्या जीवन से हारके। हम नौकरी के लिए पढाई करते है। हमे कोई नौकरी भी नहीं देता है।

सोमवार, 25 जनवरी 2010

सरल भाषा में महंगाई रोकने के उपाय-2

२ -घरेलु उद्योगों,धंधे,निकायों, दुकानों,को बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाये।
  • शिक्षा को उपयोगी किया जाये:-वो इस तरह की जैसे- हमें कपड़ा बनाने के लिए किन पेड़ो की आवश्यकता होती है। उनसे किन उपायों को उपयोग में लाकर धागा तैयार किया जाता है। कोई भी व्यक्ति घर पर कैसे अपनी मशीन बनाकर कपड़ा उद्योग लगा सकता है। अब इस सारे काम को अमलीजामा पहनाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हुए मैथ, मेकेनिकल,कैमिस्ट्री, फिजिक्स,बायोलोजी, केबल उतनी ही बताई जय जितनी की जरुरी हो।
  • वैज्ञानिक तैयार किये जाये ना की हिटलर (ग्रेट मैनेजर):- वो इस तरह की कोई ऐसा तो स्कूल हो जहा पर बच्चो को उनके टीचर से सबाल करने पर मारा न जाये बल्कि विज्ञान में उनकी रूचि बढ़ाते हुए हमें आपनी आजादी की गाथा सुनानी चहिये ताकि उनमे जोश हो देश को आगे लेजाने का उन्हें ऐसे वैज्ञानिक सप्ताह में जरुर आ कर उनके सबालो का जबाब दे ताकि उन्हें वैज्ञानिक भाषा उनकी मदर भाषा में व मदर भाषा की तरह समझाई जा सके।
    स्कूलों में मध्यान भोजन की जगह उनके मनोरंजन का ध्यान रखा जाये। उन्हें खेल खिलाया जाए प्रति दिन खेल के दौरान सभी बच्चो पर निगाह हो जो जिस खेल में आगे हो उसे उसमे ही आगे कैसे अंतरराष्ट्रीय खेल तक जाना है पूरी जानकारी समय -समय पर देनी चाहिए।
    दुर्भाग्य पूर्ण तो है की उन शिक्षक को भी किताब में जो लिखा है पता नहीं है। वह खुद रटते है और दुसरे दिन रटाते है। कुछ बताने से पहले उसका उपयोग बता दीजिये किन किन जगहों पर उपयोग कर सकते है। जरुरी हो तो दिखा भी दे।
  • शिक्षा जहा तक हो सके मुफ्त हो। तभी हम देश को बचा सकते है। नहीं तो एक दिन वो दिन होगा जब हम खुद से भी नहीं पूछ सकेंगे की यह क्या होता जा रहा है।
    सरकारी स्कूलों में पढने बाले ही वैज्ञानिक हो सकते है यदि उनके शिक्षाक खुद वैज्ञानिक हो। पर वे तो बाबू नगर निगम की बाबू की तरह है जो पैसा समय पर लेते है। और प्राइवेट स्कूलों के टीचर स्कोर मार्कस पर ध्यान देते है क्या सिखा भावी इंजीनियर ने कुछ नहीं केबल सिखाया तो केबल नंबर कैसे लाना है। ......

शनिवार, 23 जनवरी 2010

सरल भाषा मे महंगाई रोकने के उपाय

  1. जनता के साथ जुड़े
    :- वो ऐसे की जैसे विज्ञापन करता घर-घर जा कर जुड़ता है। उनके बिचार सुने और उनसे बोलिए की आपकी क्या समस्या है। आप के विचार महंगाई के बारे मे या किसी और के बारेमें क्या है आप मंच पर आकर बोल सकते है। यदि ह़ा तो नाम पता लिख लीजिये। साथ मे आप उन्हे एक संकेत आबंटित कर दो और कहो की जब आपका कोड (संकेत) न्यूज़ पेपर मे आएगा तो आप उसमे बताए स्थान पर अपने ही शहर मे आप को बोलने का मौका दिया जायेगा। उम्मीद है आप जरुर देश के लिए उस मंच का साथ देंगे। विचार जो की बाद मे काम में लिया जाएगा और न्यूज पेपर में सारे विचार छपे होंगे।
  • जमा खोरो को रोक कर। उदाहरण के तौर पर एक लोहेकी राड बेंचने बालो की एकता देखो। मॉल होते हुए भी बोलते है मॉल नहीं है। क्यों की उन्हें दाम बढना है। या कही से पता चला है की दाम लोहा बेचने बाली कंपनी बढ़ाने बाली है। पर दाम बढ़ते ही मांग कम हो जाती है। यानी लोग लोहा कम खरीद ते है। पर खरीद अन्य कारणों पर भी निर्भर करती है। जैसे - मौसम, शादी,त्यौहार,बैंको का ऋण, सीमेंट, स्थान की उपलब्धता उस शहर की, लोगो की आय, दाम (ईट,गिट्टी,रेत), न्याल्यो मे लंबित जमीनों का फेसला, आदि।
इस तरह मामूली नेता के बसमें ना तो कुछ बोलपाना होता है ना ही नियंत्रण उसके हाथ मे होता है।
जितना लोग खरीदेंगे उतनी आनियांत्रित महंगाई बढ़ेगी । कारण है की भरी मैनेजमेंट बाले व्यक्ति या कंपनियों का माल लाओगे तो आए दिन दाम बढ़ते मिलेंगे।

दूध दो गाय पलने बाले से लोगे तो सस्ता मिलेगा क्योकि उन गायो का मेनेजमेंट काम आता है।
दो गाय कही से भी धूम के पेट भर सकती है।















शनिवार, 16 जनवरी 2010

गरीब, जनता, आमिर, नेता,आभिनेता,उद्योगपति,

  1. गरीवी मे लोगो के पास कई तरह की दिक्कत होती हैतो वे आपने बच्चो को स्कूल से लेकर कॉलेज तक कैसे पढ़ासकते है१२ साल बाद उन्हें खुद काम करना पड़ता हैकुछ एक को तो साल से ही
  2. कुछ एक लोग देश के विषय मे सोचते है । बाकि के सिर तो घर की गुलामी मे झुके है। घर की इकोनोमी के बारे मे इतना ज्यादा सोचते है की दूसरो के घर, देश, बच्चो पर ध्यान ही नहीं जाता।
  3. ८०% लोग गुलाम है। पहले अंग्रेज की गुलामी की अब खुद आपने देश के आमिर लोगो की गुलामी करो यही भारत की जानता के भाग्य मे लिखा है। भागवान ने राजाओ महाराजो की गुलामी से आजाद कराया। पर राजनीती के आकाओं ने जो अब तक काम किये है और करते जा रहे है। चाहे वे देश के गुलाम हो या विदेश के गुलाम हो।
  4. यहाँ के कालेजो की कोई सूद नहीं लेता, कालेज मे केवल डिग्री दी जाती है। और गुलामी के लिए कुत्ते तैयार होते है।
  5. विज्ञानं को लेकर कोई नहीं सोचता है की क्या हम सही राह पर है।
  6. नया फ़ॉर्मूला है। जो यूज हो रहा है। " गरीबो को मिटा धीरेधीरे करके, देश आमिर हो जायेगा"।

कृति देव ०१०



this is help full for hindi typing