यदि आप देश की जनता को बदला हुआ गाँधी का देश देना चाहते है तो बहुत सा रुपया पैसा चहिये. केबल चुनाब लड़ना होगा और आपके ही प्रतिनिधि दुसरे राज्य में हो मतलब एक कम्पनी जो पुरे देश में फैली हो और जनता को हासिल करने के लिए छोटी बस्तियों कालोनियों में सड़क, पानी, विजली, की सुविधा देना होगा जिसके बदले में चुनाव में खड़े होने केलिए रास्ता बने और जीत पक्की हो जाये. क्योकि ये लोकतांत्रिक देश है और इसे जीता जा सकता है
पार्टी हो या कम्पनी दोनों एक ही काम करती है आज के दौर में ऐसा ही हो रहा है. सरकार में जाने के बाद आप पूरी तरह जनता के टैक्स पर होजाते है और देश में टैक्स कोन देता है समझे, तो कम्पनिया ही देश chalati है और सरकार भी देश को चलने के लिए कुछ कम्पनियों पर निर्भर है. तो आज क्या जनता अपना दिमाक नहीं चलाती है.
२५००० राज्यों बाले देश भारत को हमने अंग्रेजो से ६ राज्यों बाला भारत पाया आब फिरसे हम उसी हजार राज्यों बाले देश को चाहते है क्या जिसमे राजा राज करे जनता भूखी काम करे. तो दिमाक लगा कर उसी को बोट दे जो देश के हित मे हो, न समझा में आये तो हमारी पत्रिका को पड़े जो जल्द ही चुनाब में खड़े होने बाले का चिठा खोलती है उसके परिवार से लेकर उसकी एजुकेसन (पढ़ाई) उसकी सोच काम करने का तरीका यदि उसे सत्ता सौपी जाए तो क्या बो उस काम के लिए कहा से रुपया जुटाएगा और कैसे काम करे गा की गाँधी का देश अहिंसा प्रिये देश बन सके.