रविवार, 25 मई 2014

आर्थिक -देश -जनता -स्वराज-स्वतंत्रता

एक बिस्किट के पैकिट से लो इसे खाना समझो और यह जहाँ से आता है उसे मार्किट और जो बनता है उद्योगपति जो बेचता है व्यापारी है। कच्चा मॉल बिस्किट बनाने में उपयोग होता है वह खेतो से आता है बिजली की जरूरत होती है फेक्ट्री में ईधन जो फेक्ट्री वाले को उद्योगपति को जरूरत होती है।

अब यदि उद्योगपति के पास निम्न लिखित हो:-

खेत,मजदूर,आनाज,पानी,बिजली, परिवहन, मार्किट,बैंक,और मिडिया ...आदी तो कैसे कहोगे की सरकार रूलिंग पार्टी और जनता की है।

उस उद्योगपति मुनाफे के लिए मशीने इस्तेमाल करेगा अधिक से अधिक तकनीक तो जिससे लागत बढ़ेगी और एक समय के बाद उस बिस्किट पर उसका नियंत्रण खत्म हो जायेगा उसे बनाये रखने के लिए उसे उसकी ही सरकार चाहिए जो आज के दिन 2014 में है।
यह 1975 से चल पढ़ा था। इनकी जिद में ईमानदार जेल में जनता को उद्योगपतियों ने दबा दिया।