रविवार, 25 मई 2014

ईवीएम केस – जब मतगणना से पहले ही ECI की वेबसाइट अपडेट हो गयी थी।

जैसा की आजकल ईवीएम में धांधली को लेकर ख़बरें आ रही है उन्हें पढ़कर लगता है की कहीं न कहीं कुछ तो बात है जो सब दबे मुह ईवीएम की बात कर रहे है “कहते है बिना चिंगारी धुआं “ नहीं उठता ,ईवीएम में गड़बड़ी की कहानी सन 2000 में अमेरिका के फ्लोरिडा चुनाव में सामने आई थी | दुनिया भर के अधिकतर देशो ने इसका इस्तेमाल बंद कर दिया है, सन 2006 डच टीवी ने एक डाक्यूमेंट्री के ज़रिये इलेक्शन से पहेल ही ईवीएम के घोटाले को उजागर कर दिया. नीदरलैंड में भी ईवीएम का का इस्तेमाल तभी बंद हो गया और वहां कागज़ी वोटिंग सिस्टम फिर शुरू कर दिया गया ,जर्मनी ने ईवीएम को असमवैधानिक बताया और आयरलैंड ने 75 मिलियन डॉलर खर्चे के बावजूद भी इसको आसुरक्षित मानकर इस्तेमाल बंद कर दिया

2009 में सीआईए साइबर एक्सपर्ट स्टीव इस्तिग्ल ने अमरीकी चुनाव आयोग को वेनेजुला मैसेडोनिया और यूक्रेन में ईवीएम घोटाले के बारे में अवगत कराया, इस्तिग्ल ने अपनी रिपोर्ट में बताया की ईवीएम में हर कदम पर घोटाला हो सकता है | मतदान के दौरान, ईवीएम के ट्रांसपोर्टेशन के दौरान ,नतीजे गिनने के दौरान और नतीजो को अपलोड करते वक़्त भी
भारत में ईवीएम घोटाला सन 2009 चुनाव में सामने आया, डॉ अनुपम साराफ पुणे के चीफ इनफार्मेशन ऑफिसर और प्रोफेसर एमडी नालापट (वाईस चेयरमैन मनिपाल एडवांस्ड रिसर्च ग्रुप) ने चुनाव आयोग की वेबसाइट को लेकर खुलासा किया की था की ऐसा प्रतीत होता है की चुनाव परिणाम, घोषित करने से एक रात पहले से ही मौजूद थे।
2009 में भारतीय चुनाव 5 चरणों में हुए 16 अप्रैल से 13 मई तक, उसके उपरांत वोटो की काउंटिंग होनी थी, काउंटिंग आरम्भ होने से पहले सराफ और नालापट ने चुनाव पर निग़ाह रखने और हर एक चुनाव क्षेत्र के प्रत्याक्षी की जानकारी रखने के लिए चुनाव आयोग की वेबसाइट से डाटा लेकर डेटाबेस बनाने का फैसला लिया, ECI वेबसाइट की स्प्रेडशीड में उम्मीदवार का नाम,लिंग,पता,पार्टी का नाम इत्यादि था लेकिन 6 मई को स्प्रेडशीट में में अचानक से अप्र्त्याक्षित परिवर्तन हुआ

16 मई को जब रिजल्ट घोषित हुआ तब ECI वेबसाइट पर प्रत्याक्षी का नंबर ईवीएम मशीन की स्थिति के आधार पर अंकित किया गया था और जितने वोट डाले गये वो अंकित किया गया था,लेकिन अभी तक बहुत से क्षत्रो में मतदान अभी हुआ भी नहीं था,वोटो की गिनती शुरू भी नही हुई थी ,तब भी ‘कुल डाले गये वोट्स ‘ वाला कॉलम स्प्रेडशीट में नतीजे घोषित होने से पहले ही अपडेट कर दिया गया था  |

टीम ने तुरंत नेशनल इन्फार्मेटिक्स सेन्टर और चुनाव आयोग को सूचना दी की ऐसा प्रतीत हो रहा है के वेबसाइट पर मतदान पूरा होने से पहले ही नतीजे अपलोड किये जा रहे है, NIC ने आधे घंटे के अंदर, खुद ओब्सेर्व करके प्रतिक्रिया दी और चुनाव आयोग को सूचित भी किया लेकिन चुनाव आयोग से कोई जवाब नही आया |

16 मई को जब नतीजे घोषित किये गये तब चुनाव आयोग की वेबसाइट पर प्रत्याक्षी का नाम, नाम,लिंग,पता,पार्टी का नाम तो था लेकिन ‘कुल डाले गये वोटो’ वाला कॉलम नदारत था

इसके उपरांत आईटी विशेषज्ञ की टीम जिसमे जे.हल्दरमैन . (मिशिगन यूनिवर्सिटी) इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन पायनियर अवार्ड विनर हरी .के . प्रसाद और डच इन्टरनेट पायनियर रोप गंग्रिप शामिल थे, ने भारतीय ईवीएम से कैसे घपला हो सकता है, ये प्रदर्शित करके साबित किया, जैसा की फ्लोरिडा के वोटिंग के घपले सामने आये थे , वहां केवल कुछ ही निर्वाचन क्षेत्रो में मतों का हेर फेर हुआ जहाँ कुछ ख़ास प्रत्याक्षीयो को ही जितना हो |

सीआईए सिक्यूरिटी एक्सपर्ट स्टीव स्तिगल के अनुसार जब भी वोटिंग मशीन का कंप्यूटर से संपर्क हुआ है वहां ही घोटाले होने का मौका मिल जाता है ईवीएम का घोटाला एक जनतंत्र में नागरिको की आवाज़ छीन लेने का घिनोना तरीका है  |

हुफ्फिंगटनपोस्ट में छपी खबर ‘How Secure Are India’s Elections?’ 

का हिंदी अनुवाद http://hindi.kohram.in/machines-were-set-in-such-a-way-that-only-a-few-hundred-votes-were-counted-properly/