शुक्रवार, 30 मई 2014

स्वराज की सोच

जय हिन्द बोलने या गीत गाने से कुछ नही होता !! हाथ ऊपर करने से कुछ नही होता ,,,बस भ्रष्टाचार बोल बोल कर कुछ नही होता ...लड़ते रहे आपस में किसी को स्वराज नही बताया गया.....

स्वराज मतलब याचक नही बनना है...आप के पास खुद अधिकार होंगे किसी भी काम को कराने के..आपने मुहोल्लो के हर समस्या से जुड़े..सारी समस्या का हल...छोटी सी संसद मुहोल्ले में...यही स्वराज है. जिसकी आवाज संसद को सुनाई दे संसद उस राज्य के मंत्री को Decentralized पॉवर.
अभी मंत्री सांसद खुद को ईश्वर समझते है सबसे ऊपर. जब उन्हें नोकरो की तरह दिन रात काम करने होंगे जनता के तो उनका लोभ खत्म होगा संसद और सांसद बनने से भ्रष्टाचार फिर अपने आप खत्म होगा और सेवक ही फिर जायेंगे जिन्हें केवल नाम चाहिए रुपया नही.में रुपया को खत्म करदेना चाहता हूँ.में बैंक को भी ख़त्म कर देना चाहता हूँ.RBI को दूसरा नाम 100दिन में सारी समस्याए खत्म,ऑटोमेटिक टेक्स बिक्री खरीदारी ठेके और पेमेंट बिना पैसे के हार्ड कैश के अनपढ़ के अन्धो के लिए Bio metrics Voice ATM मशीन बिना कोई कार्ड के उनके जाते ही मशीन के सामने मशीन उनका नाम बोलेगी उन्हें कहेगी आपके अकाउंट में इतना बैलंस है आपको कितना निकलना .मान लो स्कूल की फीस देनी है किसी बच्चे को बो गरीब है कोन बतायेगा ? किसके पास रहने के लिए घर नही कोन बतायेगा किसे सुविधा मिले किसे नही ? सब ऑटोमेटिक हो जाएगा. कोई झूठ बोल ही नही सकता उसे कितनी पेमेंट मिली.उसका कितना लोन उसने ले रखा है.किसे रुपया दिया है किसे नही दिया अर्थव्यवस्था 100% मजबूत होगी