कपड़ा उद्योग, जब "VIMAL" विमल ब्रांड का कपड़ा नाम बना रहा था तो सोच थी इसे दुनिया के प्रमुख बाजारों जैसे गल्फ में सिंथेटिक कपड़ों का प्रमुख निर्यातक, यू.एस.ए. ई.ई.सी. आदि के जैसा मुकाबला जंग और जिद उद्योगों की होती है। इसमें देश के लोगो का फायदा पढ़ेलिखों को और अनपढ़ों के साथ साथ सरकार को टेक्स कितना मिलेगा इसपर भी कोई रिसर्च हुई ? क्या वाकई ऐसा होगा? या फिर जुआ खेला गया।
कम से कम लागत में अधिक से अधिक उत्पादन का चित्र |
तो देखते है क्या प्लानिंग चित्र जो की प्रोगशाला का पाठ है इसे प्रेक्टिकल करने के लिए क्या चाहिए ? कीमत कम करने के लिए -कच्चा माल एन-पैराफिन C10-C13 एक बेरंग तरल है चाहिए इसे कच्चे तेल से प्राप्त पैराफिन (या केरोसिन कहा जाता है) किया जा सकता है। जिससे 100 करोड़ों रुपए का विदेशी पैसा बचेगा प्लान किया। अब कच्चा मॉल बन गया तो उसे बैचने के लिए बाजार ढूढ़ा जाए इसके लिए पश्चिम बंगाल इंड्रस्ट्रियल डेवलोपमेंट कॉर्पोरेशन 15000 टन पॉलिएस्टर फिलामेंट यार्न बनता था उसे एन-पैराफिन C10-C13 बेचने के लिए संयुक्त क्षेत्र समझौता दिसंबर, 1990 में नाम के तहत एक संयुक्त क्षेत्र कंपनी स्थापित करने के लिए रिलायंस बंगाल इंडस्ट्रीज लिमिटेड परियोजना स्वरूप दिया गया था।
जिससे की क्षमता पॉलिएस्टर फिलामेंट यार्न (पीएफवाई) का 15,000 टन प्रति वर्ष न्यूनतम आर्थिक आकार 25,000
टन प्रति वर्ष हो जाए इसमें उद्योग का भी फायदा हो सरकार के सहारे कंपनी उसका उद्देश्य हासिल कर सके। लागत प्रोजेक्ट की कम करने के लिए यह सब किया जाता है